मर्जी के बिना शादी करके चोद दिया

sheetalhot

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हेल्लों दोस्तों आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमे आज मैं आपको बताऊंगा की कैसे मेने एक लड़की से उसकी मर्जी के बिना शादी कर उसके साथ चुदाई की थी। चलिए अब बिना इंतजार किये कहानी आई तरफ बढ़ते है।

हेल्लों, दोस्तों मेरा नाम है नितिन ठाकुर और मैं उज्जैन का रहने वाला हूँ। बाकी लोगों के माता-पिता की तरह मेरे भी माता-पिता मुझसे अक्सर कहा करते थे कि बेटा पहले ऐसा करलो फिर जिंदगी में आराम ही आराम या फिर ये करलो तो जिंदगी में आराम ही आराम है। ऐसा कहते हुए पहले तो मेरे माता-पिता ने मुझसे स्कूल पास करवाया फिर कॉलेज और फिर सरकारी नोकरी पर लगवा दिया। अब मेरी जिंदगी में ये काम तो अच्छा हुआ था कि मुझे एक सरकारी नोकरी मिल चुकी थी, लेकिन सबसे बुरी बात यह थी कि सरकारी नोकरी को पाते पाते मेरी उम्र करीब 30 साल तक पहुंच गई थी। अब तो मेरे सिर पर गंजापन भी आने लग गया था। मेने अपना पूरा समय सरकारी नौकरी के ऊपर लगा दिया था, इसलिए में गंजा, चश्मिश ओर बेकार दिखने लग गया था। अब मेरी इज्जत बस एसलिये थी कि मैं एक सरकारी नौकरी थी। लेकिन वो जो मेरे घर वाले कहते थे कि ये करलो फिर आराम ही आराम है, लेकिन सच बताऊं तो भाई आराम कभी मिला ही नही था।।।

मेने अपनी ज्यादातर जिंदगी पढ़ने में ही बीता दी थी, ओर उस समय मेरे दोस्त लप्पके के गर्लफ्रैंड बनाते थे, ओर जिनकी गर्लफ़्रेंड नही हुआ करती थी वो लोग रंडिया बुलाकर फुल चोदमपंती किया करते थे। सच बताऊं तो मेरी अपने दोस्तों से बहुत गांड जलती थी, क्योकि पढ़ाई में घुसे रहने की वजह से मैं इन सभी पलों का मजा ही नही ले पाया था। आधी जिंदगी पढ़ाई में बिता देने की वजह से सबसे बड़ा नुकसान मुझे यह भी हुआ था कि मैं कभी चुदाई ही नही कर पाया था। मेरे माता-पिता की बताई हुई राह पर चलने की वजह से में आजतक एक लडक़ी को छू भी नही पाया था। यही वजह थी कि मेरे अंदर कामुकता बहुत ही ज्यादा भर गई थी।। मुझे पोर्न अश्लील फिल्में ओर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ने की लत ही लग गयी थी। मैं रोजाना 2-2 बार मुठ मारने लग गया था, ओर जब भी मैं रास्ते पर कोई लड़की देखा करता था, तो मेरी नजर उस लड़की गांड ओर बूब्स पर ही ठहर जाती थी।

मेने टिंडर, फेसबूक ओर इंस्टाग्राम पर भी बहुत सी लड़कियों को पटाने के बारे में सोचा था, लेकिन मेरे गंजेपन की वजह से कोई भी लड़की मुझे पसंद नही करती थी, इसलिए गर्लफ्रेंड के नाम पर मेरे हाथ मे हमेशा लौड़ा ही लगता था। कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा लेकिन एक दिन मेरे घर वालों मुझे फिर से वही सलाह दी जो वो मुझे हमेशा देते थे। एक दिन मेरे माता -पिता ने मुझसे कहा कि “बेटा शादी करलो उसके बाद तो आराम ही आराम है”।।। मुझे बात काफी अच्छे से पता पता कि “इस बार भी आराम ही आराम के चक्कर मेरा बहुत अच्छे से चूतिया काटा जा रहा है, लेकिन माँ- बाप तो माँ बाप ही होते है आखिर, इसलिए मैंने माता-पिता की बात को मानना ही ठीक समझा था। मुझे अपने माता पिता का फैसला इसलिए भी मानना पड़ा क्योंकि मुझे लगा था कि मैने अब जिंदगी में धक्के खाते हुए इतनी गांड मरवा ही ली है, तो थोड़ी रही सही और इससे भी बड़ी वजह तो यह थी कि मेरी बढ़ती उम्र के साथ मेरी कामुकता भी बढ़ती हो जा थी। अगर मुझे सही समय पर चुदाई नही मिलती तो शायद मैं पागल ही हो जाने वाला था।।।।।

अब धीरे-धीरे मेरे माता-पिता ने हमारे सभी जानने वालों के यहां मेरे लिए रिश्ता ढूंढना भी शुरू कर दिया था। मेरी सरकारी नौकरी थी और ऊपर से में थोड़ा पैसे वाला भी था, जिस वजह से बहुत से रिश्तें वालों ने तो मुझे अपनी लड़की देने के लिए हां कह दिया था। मेरी सरकारी नौकरी होने की वजह से मुझे इतना तो आता चल ही गया था कि आपके पास भले ही शक्ल ना हो,लेकिन अगर बहुत सारा पैसा है तब भी आपका काम निकल ही जायेगा। बाकी सब तो बढिया ही चल रहा था,लेकिन मुझे अब तक ऐसी लड़की नही मिल पायी, जिससे मुझे शादी करने का मन हो रहा था। अब मैं काफी तनाव में आ गया था, मुझे लग रहा था कि अब यहां भी मेरे हाथ कुछ नही लगने वाला है अब जिंदगी भर हाथ मे तानपुरा लेकर ही बजाना पड़ेगा। अब तो मैं जिन्दगी से बिल्कुल हार ही गया था, ओर अब तो मैने शादी करने का मन भी पूरी तरह से अपने दिमाग से हटा दिया था।।।।।

एक दिन रविवार का समय था कर मैं ऐसे ही अपने घर मे टीवी देख रहा था, तभी मेरे पिता को किसी का फ़ोन आता है और मेरे पिता फ़ोन पर कहते है कि “”” अरे हांजी हां लड़का बहुत बढ़िया है बहुत लाड़ से पाला है इसे हमने, हमारा बेटा महीने के 50 हजार तक कमा लेता है जी।। हांजी बिल्कुल हम आज ही आपसे मिल लेते है ठीक है””””।।।। मैं पिताजी को पहली बार किसी इंसान से हसते हुए बात करते देख रहा था, इसलिए मैंने पिताजी से पूछते हुए कहा कि “””क्या हुआ पिताजी बहुत ही खुश नजर आ रहे हो, आखिर किस से इतनी बातें हो रही थी””””?

“”बेटा मैं शर्माजी से बात कर रहा था। शर्माजी मेरे बचपन के दोस्त है जब हम कॉलेज में हुआ करते थे। आज जब इतने सालों बाद अपने पुराने दोस्त से बात हुई तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा था।””” – मेरे पिताजी ने खुशी से जवाब देते हुए कहा

“””अच्छा वो सब तो ठीक है पिताजी पर आपने बताया नही कि आखिर शर्मा जी को इतने सालों बाद आपकी याद कैसे आयी? इससे पहले तो उन्होने कभी आपसे बात नही की थी।””’ -मेने ऐसे ही बातों ही बातों में पूछा

“नही नितिन बेटा ऐसी तो कोई बात नही है हम कभी कभी एक-दूसरे से बात करते रहते है लेकिन इस बार शर्माजी का मुझे फ़ोन लगाने का एक खास मकसद भी था। शर्माजी को कहीं से पता चला कि मैं तेरी शादी के लिए लड़की देख रहा हूँ और संयोग से शर्माजी भी अपनी बेटी प्रिया के लिए लड़की देख रहे थे। इसलिए शर्माजी ने सोचा कि क्यूं ना हमारी बरसों पुरानी दोस्ती को आखिर रिश्तेदारी में बदल दिया जाए, इसलिए उन्होंने आज मुझे फ़ोन लगाया था।।। -पिताजी ने जवाब देते हुए कहा

“नही पिताजी अब मेरा शादी करने ला बिल्कुल भी मन नही है। आपने जितने भी रिश्तें देखे मुझे कोई भी लड़की पसन्द नही आई है। अब बेहतर तो यही होगा कि आप मेरे लिए रिश्ता देखना ही बंद कर दे”” – मेने उदासी भरी आवाज में कहा

“”बेटा शादी के बिना अपनी जिंदगी कैसे काटोगे, कोई तो होना चाहिए ने हमारे बिना बी तेरा ख्याल रखने वाला? मैं मानता हूं कि तुझे कोई भी लड़की पसन्द नही आई थी, लेकिन इसकी वजह यह थी कि हमारे रिश्तेदारों में बहुत कम ही अच्छी लड़कियाँ है।। शर्माजी की कास्ट हम से बहुत अलग है क्या पता तुझे उनकी लड़की पसंद आ जाये? बेटा मेने शर्मा की लड़की को अपनी आंखों से देखा है वो बिल्कुल जन्नत की परी की तरह दिखती है। तू एक बार चलकर उसे देख तो ले फिर शादी करना है, या ना करना है ये तेरे ऊपर है””।।। – पिताजी ने मुझे समझाते हुए कहा

“पिताजी ने उस दिन शर्मा जी की बेटी की इतनी तारीफ कर दी थी कि अब मेरा भी उसे देखने का बहुत मन कर रहा था, लेकिन उसे देखने जाने से पहले मेने अपने पिताजी से एक शर्त रख दी थी कि अगर इस बार भी मुझे अगर लड़की पसंद नही आती है तो मैं दोबारा कभी शादी का ख्याल भी अपने मन मे नही लेकर आऊंगा। पहले तो मेरे पिताजी ने इस बारे में बहुत विचार किया और फिर आखिरकार, मेरे पिताजी ने मेरी यह शर्त मान ली थी””।।। मैं जल्दी से उस दिन तैयार हो गया था और सुबह-सुबह ही मैं अपने परिवार के साथ शर्माजी की लड़की को देखने के लिए निकल गया था। “ करीब आधे घंटे के सफर के बाद ही हम 20 किलोमीटर दूर मौजूद शर्माजी के घर पर पहुंच चुके थे। हम जैसे ही शर्माजी के घर पर पहुंचे तो पहले तो शर्माजी ने हम सभी का अच्छे से स्वागत किया और फिर हमें अंदर आने के लिए कहा था।।। शर्माजी का घर काफी भीड़ भड़ाके वाले इलाके में था। शर्माजी के साथ साथ उस समय उनकी वाइफ भी मौजूद थी, लेकिन मुझे प्रिया कही पर दिखाई नही दे रही थी।।।

शर्माजी ने पहले तो मेरी शक्ल को देखा ओर फिर हँसकर मुझे देखने लगे और कहने लगे “ अरे ठाकुर जी आपका लड़का तो बहुत ही अच्छा है”।।। मेने देखा कि शर्माजी को मेरी शक्ल से बिल्कुल भी फर्क नही पड़ रहा था, क्योंकि शायद वो ये बात जानते थे कि हम बहुत ही ज्यादा पैसे वाले थे”। आज भी ज्यादातर घरों में ऐसा ही होता है कि ज्यादातर लोग पैसा देखकर लड़की देखते है और अगर लड़का सरकारी नौकरी वाला हो तो भाई रिश्ता तो घर चलकर आपके पास आ जाता है”।।। पैसे के चक्कर मे आज कल लोग ये भी नही देखते है कि हम जिस लड़के को अपनी लड़की सौप रहे है वो बुरी आदतों वाला भी हो सकता है””।।। खैर, छोडो मेरा इस बात से कोई भी लेना देना नही था।।।

कुछ देर बाद ही शर्माजी ने अपनी लड़की प्रिया को आवाज लगाई और उसे हम सभी के लिए नाश्ता लाने के लिए कहा “तभी दूर से एक मधुर सी आवाज आती है कि “””अभी आई पिताजी”।।। कुछ ही देर में प्रिया समोसे ओर चाय की प्लेट लाते हुए हमारे सामने मौजूद थी”।।। प्रिया के पास से एक प्यारी सी महक आ रही थी और उसमें बाल भी अभी तक गीले थे।। इससे ही मैं अंदाजा लगा चुके था कि प्रिया अभी-अभी ही नहाकर आयी है। प्रिया को शायद पता नही था कि हम उसका रिश्ता देखने के लिए आये है, नही तो वह इसके लिए पहले से तैयार होकर आती।। तभी अचानक शर्माजी की आवाज आती है कि “ये लीजिए ये है हमारी बेटी प्रिया”।।। यह सुनते ही प्रिया बड़ी ही हैरानी से मेरी तरफ देखने लगती है। प्रिया को देखते ही भाई मेरी आंखें तो फटी की फटी ही रह जाती है।। जैसा पिताजी ने कहा था प्रिया बिल्कुल स्वर्ग से आई किसी अप्सरा की तरह ही लगती थी।। प्रिया का शरीर बिल्कुल दूध की तरह गौरा था और आंखें छोटी लेकिन एक दम नशीली थी।। प्रिया के गले मे अभी कुछ पानी की बूंदे ठहरी हुई थी, जो कि उसके सीने से होती हुई लागातर उसके बूब्स की तरफ घुस रही थी।।। यह सीन देखकर तो मेरा शरीर ही ठंडा पड़ गया था। मेने देखा कि प्रिया एक दम फिट ओर टाइड शरीर की मालकिन थी। उसके गांड ओर बूब्स काफी लाजवाब ओर कुदरती थे, उसके भीगे हुए बाल उसकी मतवाली चाल ओर साथ ही उसकी परफ्यूम की महक ने मुझे मदहोश ही कर दिया था। उसे देखते ही पूरे शरीर मे कम्पन्न होना शुरू हो गयी थी।। जैसे ही कुछ देर में प्रिया मेरे पास आती है और फिर मेरे हाथ मे चाय देने के लिए थोड़ा सा झुक जाती है। इस दौरान मुझे उसके हल्के से दिख रहे बूब्स की झलक मिल जाती है। इस हल्की सी झलक में उसके पूरे बूब्स की तस्वीर मेरे दिमाग में छप जाती है। प्रिया के बूब्स बिल्कुल सफेद, गोलमटोल ओर टाइड थे। तभी एकदम से प्रिया मुझे नोटिस कर लेती है और उसके पल्लू को फिर से ऊपर चढ़ा लेती है।।।।

प्रिया की भड़कती हुई जवानी देखकर तो मैं पागल ही हो जाता हूँ और अब मुझे किसी भी शर्त पर प्रिया से शादी करनी थी।।। मेने देखा कि प्रिया के चेहरे पर बिल्कुल भी रौनक नही थी जैसे वह इस रिश्तें से पूरी तरह से नाखुश थी।।। कुछ ही देर में प्रिया अपने पिता को अकेले में बुलाती है और यह सब मै भी दूर से देख रहा होता हूँ।। प्रिया अपने पिता से गुस्से में बात कर रही होती है और शायद वह अपने पिता से कह रही होती है कि उसे अभी शादी नही करनी है।। कुछ ही देर बाद फोनों परिवार सोच-विचार कर लेने के बाद फिर से आपस मे बैठ जाते है। पहले तो सभी लोग मुझसे इस रिश्ते के लिए कहते है तो मैं हाँ कह देता हूँ और फिर जब प्रिया से इस रिश्ते के बारे में पूछते है तो वह भी रूखे सूखे मुंह के साथ हां कह देती है।।। तभी अचानक ही प्रिया मुझसे कहती है कि “क्या मैं आप से अकेले में बात कर सकती हूं”?

मैं भी अकेले में बात करने के लिए जाता हूँ और हैम दोनों अपने परिवारों से थोड़ा दूर जाकर एक दूसरे से बात करने लगते है। मैं पहले तो प्रिया के उदास चेहरे की उससे वजह पूछता हूँ तो वह मुझे बताती है को वह इस रिश्तें से पूरी तरह से नाखुश है और वह किसी ओर से प्यार करती है। तभी मेने पूछा कि “फिर तुमने यह रिश्तें के लिये हां क्यों कहां तुम मना भी तो कर सकती थी? तब प्रिया ने मुझे बताया कि उसके माता-पिता ने बहुत प्यार से उसे पाला है इसलिए वह उनकी इच्छा के विपरीत नही जा सकती थी। अब प्रिया मुझसे कहती है कि “देखो मैं तो इस शादी के लिये मना नही कर सकती हूं लेकिन आप प्लीज इस शादी के लिए मना कर दीजिए मैं आपके इस एहसान का बदला कभी नही भूलूंगी”।।।

अब मैं बहुत बड़ी दुविधा में फंस गया था, क्योंकि मैं इतने अच्छे माल को अपने हाथों से जाने नही देना चाहता था। मेने प्रिया से कहा कि ठीक है जब आपके पिताजी का फोन आएगा तब मैं इस रिश्ते के लिए ना कह दूंगा”।। यह सुनकर प्रिया बहुत खुश हो गयी थी।। अब मैं अपने परिवार के साथ अपने घर पर निकल चुका था।।। मेने घर पर आक्र एक बार फिर इस चीज़ पर बहुत विचार किया और फिर आखिर पर मैने यह फैसला लिया कि मैं इतने खुबसुरत माल को भूल से एभी किसी ओर के लिए नही छोड़ सकता हूँ, इसलिए मैं प्रिया से किसी भी शर्त पर शादी जरूर करूंगा। तभी एक दिन फिर से प्रिया के पिता फ़ोन आता है और वह दोबारा से मुझसे इस रिश्ते के लिए मेरी मंजूरी के बारे में पूछते है। इस बार मुझे फिर प्रिया की उन्ही बातों का ख्याल आता है लेकिन मैं सबकुछ भूल कर प्रिया के पिता को इस रिश्ते के लिए हां कह देता हूँ।।।

अब जाकर शादी की तैयारियां शुरू हो जाती है और आखिर कुछ ही दिनों के अंदर हमारी शादी हो जाती है। उस समय प्रिय के चेहरे को देखकर कोई भी बता सकता था कि वह बहुत ही ज्यादा दुखी थी।। कुछ ही दिनों बाद वो समय भी निकट आ चुका था, जिसका मैं बहुत ही बेसब्री के साथ इंतजार कर रहा था।।। उस समय बहुत ही धुमधाम के साथ मेरे सुहागरात के के।रे को सजाया हुआ था। मुझसे बिल्कुल भी इंतजार नही हो पा रहा था, इसलिए मैं अपनी सुहागरात पर ही जमकर प्रिया के साथ चुदाई करने वाला था। इस चुदाई के लिए मेने पूरी तैयारी भी कर ली थी और साथ ही वायग्रा की गोलियाँ भी खरीद ली थी। अब रात के करीब 12 बज चुके थे और प्रिया के साथ मैं सुहागरात वाले कमरे मैं मौजूद था।। पास मैं टेबल पर ही मेरे लिए काजू, बादाम ओर केसर का दूध मौजूद था, जिसे में गट गट कर के एक ही बार मे पी गया था। अब जाकर मेने वायग्रा की गोलियां भी खा ली थी।। प्रिया बैड पर अपना घूंघट ओढ़ कर मेरे सामने बैठी गई थी और मैं उसे चौदने के लिए बेसब्री से तड़पे ही जा रहा था।।।। अब मैं प्रिया के पास जाकर बैठ जाता हूँ और उसका घूंघट निकाल देता हूँ। इस दौरान प्रिया रोते हुए गुस्से में मुझे देख रही थी। वह इतने गुस्से में थी कि उसने मेरे गाल पर एक चाटा मार दिया था। चाटा खाने के बाद तो मैं ओर भी ज्यादा आगबबूला हो गया था।।

मेने तुरंत ही प्रिया के बालों को खींच के पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे चूमना शुरू कर दिया था। प्रिया के बाद एक के बाद एक मुझे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन यहां उसकी हर कोशिशें नाकामयाब होती हुई नजर आ रही थी। मैं कभी प्रिया के बूब्स के ऊपर, कभी गले तो कभी उसके मुंह को जानवरों की तरह चुमता ही जा रहा था। कोई सुन ना ले इसलिए प्रिया इस दौरान चिल्ला भी नही पा रही थी। अब प्रिया ने बल का सहारा लेते हुए मुझे फिर से खुद से दूर कर दिया था। अब मेरा दिमाग और भी ज्यादा खराब होता जा रहा था। अब मेने कुछ हो देर में प्रिया की साड़ी को खोलकर अलग पटक दिया था। अब मैं उसके ऊपर चढ़कर उसे चूमते हुए उसके जिस्म की सवारी किये जा रहा था।। मेने कुछ ही देर के अंदर प्रिया के ब्लाउज ओर ब्रा को खोलकर उसके प्यारे से बूब्स को आजाद कर दिया था। अब मैं प्रिया के बूब्स को दबाता हुआ उसे चूसता ही जा रहा था।। अब प्रिया के मुंह से “आह आह अम्म ओह्ह उई”” की तेज आवाजें निकले जा रही थी।।। मैं बार-बार प्रिया के निप्पलों को अपने दांतों से पकड़कर उसे उत्तेजित किये जा रहा था। अब कुछ ही देर बाद अब मेने प्रिया के पेटीकोट ओर पेंटी को भी उतार कर फेंक दिया था। अब प्रिया पूरी तरह से मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी अब उसके मुंह पर पछतावे के आंसू दिखाई दे रहे थे और कुछ भी नही दिखाई दे रहा था।।। अब मेने प्रिया को उत्तेजित करने के लिए अपनी 2 उंगलियों को प्रिया की चुत के अंदर घुसेड़ दिया था।अब मैं अपनी उंगलियों से प्रिया की चुत को चोदे जा रहा था। इस दौरान प्रिया के मुंह से तेज सिसकारियों की आवाजें आ रही थी।।। प्रिय लागातर मुझसे “आह ओह्ह बस करो आह,””” कहते हुए मुझे छोड़ देने के लिए कह रही थी।।।।।

मैं करीब 10 मिनट तक प्रिया की चुत में इनसे ही उंगली करते हुए उसे चोदता जा रहा था। मेने थोड़ी ही देर में प्रिया की चुत को गीला कर दिया था।।। अब मुझसे ओर इंतजार नही हो पा रहा था। मेने भी अब धीरे-धीरे अपने सभी कपड़ों को उतार दिया था और अब मैं भी प्रिया के सामने पूरा नँगा मौजूद था।।। मेरे लन्ड का साइज बहुत ही लम्बा था। प्रिया मेरे लन्ड को देखकर बहुत ही ज्यादा हैरान थी और वह अब ये समझ चुकी थी कि आज वह बहुत ही तगड़ी चुदने वाली है।।। अब मेने अपने 9 इंच के मोटे लन्ड को हिलाते हुए ले जाकर प्रिया की चुत पर ले जाकर रख दिया था।। मैं आने लंड को प्रिया की चुत पर रगड़ रहा था। उसकी चुत एक दम गुलाबी थी और काफी मुलायम थी, मुझे उसकी चुत पर अपना लन्ड रगड़ने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।।।। कुछ ही देर में मैने अपना लन्ड प्रिया की चुत के सेंटर पर ले जाकर रख दिया था।।। अब मेने एक ही झटके के अंदर अपना पूरा लन्ड ही प्रिया की चुत के अंदर उतार दिया था। मेरा लन्ड प्रिया की चुत को चीरता हुआ पूरा अंदर तक पहुंच गया था।।। दर्द के कारण प्रिया के मुंह से तेज चीख निकल गयी थी। “आह मैं मर गई आह निकालों इसे प्लीज” ।।।। अब मुझे ओर भी ज्यादा मजा आने लग गया था और मैं अपने लन्ड को बार-बार प्रिया की चुत के अंदर बाहर करता हुआ उसे लगातार चोदता ही जा रहा था। इस दौरान प्रिया “आह आह आह अम्म आह” दर्द से चीखती हुई चुदती ही जा रही थी।।।

अब मेने प्रिया को बैड पर उल्टा लेटा दिया था और फिर मेने गपागप प्रिया की गांड को भी चोदना शुरू कर दिया था। मेने उस दिन प्रिया से अलग अलग पोजिशन चुदाई कर के सुबह की 4 बजे तक चुदाई की थी। कुछ देर बाद प्रिया को भी चुदने में मजा आने लग गया था। अब वह मेरे ऊपर बैठकर लपक लपक के मेरे लन्ड पर अपनी चुत को सेट करते हुए चुदे जा रही थी। वह अपनी के।र को ऐसे मटका रही थी, जैसे वह मेरे लन्ड से आज अपनी चुत के कोने-कोने की सफाई कर रही है।। कुछ ही देर बाद में झड़ गया था और मैने अपने गाढ़े गर्म वीर्य को प्रिया की चुत के अंदर ही उतार दिया था। फिर हम दोनों सो गए थे। अब प्रिया को भी मेरे साथ रहने कोई आपत्ति नही हो रही थी और हम आज भी एक खुश हाल जीवन जी रहे है।।।।

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